छत्तीसगढ़ का पहला शहीद पार्क बदहाली की कगार पर: ‘कलयुग के भगतसिंह’ ने दिया 3 दिनों का अल्टिमेटम, नहीं सुधरी व्यवस्था तो शुरू होगा अनिश्चितकालीन अनशन
संपादक -मनहरण कश्यप
बलरामपुर, छत्तीसगढ़/ देश की मिट्टी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों की याद में बनाए गए प्रदेश के पहले शहीद पार्क की स्थिति आज शर्मसार कर देने वाली है। करीब 40 लाख रुपये की लागत से तैयार यह पार्क आज कचरे, टूटी लाइटों और जर्जर हो चुकी प्रतिमाओं के बीच अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
14 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति के अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस शहीद पार्क का भव्य उद्घाटन किया था। प्रारंभिक दिनों में यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, शहीद जवानों की प्रतिमाओं के समीप दर्ज उनके शौर्यगाथा को पढ़ते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन महज कुछ महीनों में ही पार्क की हालत बेहाल होने लगी—
अधिकांश लाइटें खराब,
शहीद प्रतिमाओं में दरारें,
परिसर में कचरे का अंबार,
और प्याऊ की सुविधा पूरी तरह ठप।
3 अगस्त 2023 को सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार अमानत भगतसिंह सिंह ने इस बदहाली को सोशल मीडिया के माध्यम से उजागर किया था और संबंधित विभाग को 24 घंटे का अल्टिमेटम दिया था। उनकी पहल के बाद पार्क उसी रात जगमगा उठा था।
लेकिन आज 2025 के अंत में स्थिति एक बार फिर पहले से भी बदतर हो चुकी है। शहीदों की प्रतिमाएं मानो अपने अपमान पर मौन चीख रही हों।
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए आज 26 नवंबर 2025 को ‘कलयुग के भगतसिंह’ के नाम से पहचाने जाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमानत भगतसिंह ने पुनः जिला प्रशासन, नगरपालिका, जनप्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों और पत्रकारों को पार्क की जमीनी हकीकत दिखाते हुए तीन दिनों का अंतिम अल्टिमेटम दिया है।
अमानत भगतसिंह का स्पष्ट कहना है:
“यदि तीन दिवस के भीतर कचरे की सफाई, लाइटों की मरम्मत तथा प्याऊ की व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई तो मैं शहीद पार्क परिसर में ही अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ जाऊंगा। यह लड़ाई केवल एक पार्क की नहीं, हमारे देशभक्त शहीदों के सम्मान की लड़ाई है।”
स्थानीय नागरिकों में भी रोष व्याप्त है कि शहीदों की स्मृति में बनाए गए प्रदेश के प्रथम पार्क की इस तरह अनदेखी प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाती है।
अब जिम्मेदारी शासन–प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की है कि वे इस विषय को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई करें, ताकि शहीदों की स्मृति को संरक्षित रखा जा सके और इस पवित्र स्थल का गौरव पुनः बहाल हो सके।
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