"रक्तदान महादान" पर सही समय पर किया गया दान ही बनता है जीवनदान

"रक्तदान महादान" पर सही समय पर किया गया दान ही बनता है जीवनदान
संपादक - मनहरण कश्यप 

बिलासपुर। रक्तदान को सदा से "महादान" कहा गया है। प्रतिदिन हजारों-लाखों रक्तवीर मानवता की मिसाल कायम करते हुए अनगिनत लोगों का जीवन बचाते हैं। विभिन्न संस्थाएँ, समाजिक संगठन और सामूहिक अभियान इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाकर वास्तव में ईश्वर के कार्य में सहभागी बनते हैं।

परंतु समय पर किया गया रक्तदान ही वास्तविक जीवनदान होता है। कई बार ऐसे क्षण आते हैं जब मरीज की हालत गंभीर होती है, परिवार निराशा में डूबा होता है और समय तेजी से निकल रहा होता है।रक्त नहीं  मिलने की स्थिति में परिजन परेशान हो,ऐसे कठिन दौर में यदि कोई निस्वार्थ भाव से आगे बढ़कर रक्तदान करता है, तो वह सचमुच "जीवनदाता" कहलाता है।

चिकित्सकों के अनुसार, आपातकालीन स्थिति में दिया गया रक्त केवल रक्त नहीं होता, बल्कि वह किसी मरीज की धड़कनें लौटाता है, किसी मां की गोद को उजड़ने से बचाता है, किसी पिता की आंखों के आंसू पोंछता है और किसी बच्चे की मुस्कान वापस लाता है।

इसीलिए रक्तदान सिर्फ एक दान नहीं, बल्कि जीवन का पुनर्जन्म है। जो व्यक्ति संकट की घड़ी में रक्त देकर किसी की जान बचाता है, वह समाज में ईश्वर का ही रूप माना जाता है और इंसानियत की सबसे महान सेवा करता है।


Post a Comment

0 Comments