कंचनपुर की सैकड़ो एकड़ सरकारी जमीन पर भ्रष्टाचार हावी पहाड़,तालाब भी अब सुरक्षित नहीं

कंचनपुर की सैकड़ो एकड़ सरकारी जमीन पर भ्रष्टाचार हावी पहाड़,तालाब भी अब सुरक्षित नहीं


रतनपुर से ताहिर अली की रिपोर्ट

Managing Editor- Manharan Kashyap 

 रतनपुर/रतनपुर को वैसे तो जंगल, पहाड़,तालाबों की नगरी से जाना जाता है क्योंकि रतनपुर की खूबसूरती यहां के पहाड़, तालाब और जंगल है जिससे इसे पर्यटन क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है लेकिन यहां के स्थानीय लोग रात दिन मेहनत करके भी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पाते, लेकिन यही कुछ बाहरी तत्व के लोग कुछ ही दिनों मैं लखपति से करोड़पति और करोड़पति से अरबपति बन जाते है

 अरबपति बनने के कारनामे जंगल जमीनों पर भ्रष्टाचार कर और सरकारी तंत्र की मिली भगत से ही संभव होता है 

 ऐसा ही कारनामा इन दिनों रतनपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है रतनपुर क्षेत्र से एक बड़ा और चौंकाने वाला ज़मीन घोटाला सामने आया है, जिसने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार अधिकारियों की ईमानदारी पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है 

ग्राम पंचायत कंचनपुर मे स्थित सैकड़ो एकड़ सरकारी जमीन (खसरा नंबर 532) मे बंदर बाट किया है कुछ साल पहले यह लोग नीलगिरी का निजी प्लांटेशन करने के नाम पर हजारों पेड़ काट दिए गए थे उस समय भी नीलगिरी का पेड़ काटने और निजीकरण होने का सवाल उठाया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते मामला दबा दिया गया, यह जमीन आज भी घने जंगलों से आच्छादित है उसे राजस्व अधिकारियों ने कागजों में चुपचाप निजी लोगों के नाम ट्रांसफर कर दिया।  अधिकांश जमीन पर कब्जा किसी का नहीं है  लेकिन रिकार्ड बताते है कि जमीन कुछ निजी लोगों के नाम पर दर्ज है 

🔎 दस्तावेजों में घोटाले का ब्लूप्रिंट:
प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, यह ज़मीन नौकरीपेशा, व्यापारी और दिल्ली के लोगों तक को बांट दी गई। जिनके नाम पर ज़मीन दर्ज हुई है, उनमें रतनपुर व बिलासपुर के ये नाम प्रमुख हैं:
नाम भूमि (हेक्टेयर में)
अनिल अग्रवाल 0.4690 + 1.0360

सुनील अग्रवाल 1.4410

आरती अग्रवाल 7.0000

दीपक अग्रवाल 9.5000

मौना अग्रवाल 1.5543

ललित अग्रवाल 1.5050

सुनीता अग्रवाल 1.5050

राजवर्धन सिंह 4.0480

अमरदीप किस्पोट्टा 2.5280

प्रवीण कुजूर (दिल्ली) 3.0380

लक्ष्मण 2.0230

कांति मिंज / जान बास्को 3.2380

👉 इन सभी नामांतरणों को फरवरी 2020 में राजस्व रिकॉर्ड में गुपचुप तरीके से दर्ज किया गया।

सूत्रों का दावा है कि इस पूरे मामले में उस समय के पटवारी, तहसीलदार और उच्च राजस्व अधिकारी पुरी तरह संलिप्त हैं। ज़मीन का नामांतरण रिश्वतखोरी और साठगांठ का परिणाम बताया जा रहा है।

 लोगों की माने तो इतने बड़े स्तर पर सरकारी ज़मीन का ट्रांसफर बिना राजनीतिक और प्रशासनिक सहमति के संभव ही नहीं है,

🔥 अब सियासत भी गरमाई


इस घोटाले पर अब रतनपुर युवा कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है नगर पंचायत के पूर्व पार्षद एवं पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष शीतल जायसवाल और वर्तमान पार्षद एवं युवक कांग्रेस (कोटा विधानसभा)अध्यक्ष पुष्पकांत कश्यप ने मिलकर SDM, तहसीलदार, कलेक्टर और विधायक से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। इस मामले में भ्रष्टाचार में सम्मिलित सभी लोगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो, इस जमीन घोटाले पर इनका कहना है कि
 "यह आदिवासी और ग्रामीण जनता के अधिकारों की खुली लूट है, दोषियों को जेल भेजा जाए!" — पुष्पकांत 

 अब देखने वाली बात यह होगी कि,,,,इतने बड़े जमीन घोटाले पर शासन प्रशासन क्या कार्रवाई करती है या यूं ही भ्रष्टाचार के चलते रतनपुर से जंगल, पहाड़ और तालाब विलुप्त हो जाएंगे और भ्रष्टाचार करने वाले खुलेआम घुमते रहेंगे

Post a Comment

0 Comments