रतनपुर के रजहापारा में माँ शांति काली मंदिर में नवरात्रि महोत्सव की धूम
मनहरण कश्यप की खास रिपोर्ट
रतनपुर। वार्ड क्रमांक 05 रजहापारा स्थित माँ शांति काली मंदिर में इस वर्ष भी शारदीय नवरात्रि महोत्सव बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। मोहल्लेवासियों की गहरी आस्था से जुड़ा यह मंदिर नवरात्रि पर्व पर विशेष रूप से आलोकित रहता है, जहाँ प्रत्येक वर्ष सैकड़ों मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि इन कलशों की अखंड ज्योति से लोगों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
मंदिर का इतिहास
स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों की जानकारी के अनुसार, पहले माताजी मिट्टी के बने चौरे में एक नीम के पेड़ के नीचे विराजमान थीं। उस समय पास में ही स्थित सालिकबंद तालाब में विजयपाल गुप्ता मत्स्य पालन करते थे। तालाब की चौकीदारी मोहल्लेवासियों को दी गई और लोगों ने मजदूरी न लेकर, इसके बदले माँ शांति काली के लिए एक सुंदर मंदिर बनाने की शर्त रखी। इसके बाद मोहल्लेवासियों ने श्रमदान करके सन् 1988-89 में मंदिर का निर्माण कराया। तब से ही यहाँ निरंतर नवरात्रि पर्व पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित होते आ रहे हैं।
नवरात्रि आयोजन और धार्मिक कार्यक्रम
इस वर्ष भी नवरात्रि महोत्सव में सुबह-शाम आरती का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मोहल्ले की नारी शक्ति बड़ी संख्या में भाग ले रही है। प्रतिदिन रात्रि में माता सेवा जस गीत का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय गायन मंडलियों के साथ-साथ बाहर से आई मंडलियाँ भी अपनी प्रस्तुतियाँ दे रही हैं। पूरा वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो जाता है।
मंदिर के मुख्य आचार्य पंडित घनश्याम दुबे जी ने बताया कि जगत् जननी माँ महाकाली इस मंदिर में कन्या रूप में शांत स्वरूप में विराजमान हैं, इसलिए इस मंदिर का नाम “माँ शांति काली मंदिर” पड़ा।
आगामी कार्यक्रम
पूरे नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन विधिवत पूजा-अर्चना और आरती की जाएगी। अष्टमी तिथि को पूर्णाहुति के साथ विशेष अनुष्ठान होंगे तथा नवमी के दिन कन्या भोज और भंडारे का आयोजन कर भक्तों को प्रसादी वितरित की जाएगी।
यह धार्मिक आयोजन न केवल मोहल्लेवासियों को बल्कि आसपास के श्रद्धालुओं को भी जोड़ता है। वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी उसी उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है, जिससे माँ शांति काली मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है।
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