वि खं कोटा में,गरीबों का योजना, महतारी वंदन का 26 शिक्षक अपने पत्नियों के नाम ले रहे थे लाभ
Managing Editor- Manharan Kashyap
कोटा विकासखंड के 26 शिक्षकों ने अपने सरकारी पद की जानकारी छुपाकर अपनी पत्नियों के नाम से महतारी वंदन योजना का आवेदन किया, जिससे प्रत्येक को ₹1000 प्रति माह की दर से 11 माह में ₹11,000 की राशि मिली सरकारी नियमों के अनुसार प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शासकीय व संविदा कर्मचारियों और उनके परिजनों को इस योजना से अपात्र माना गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग कोटा ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को सूची भेजकर कहा है कि इन शिक्षकों से राशि वसूली कर विभाग को जानकारी दी जाए।शिक्षकों को नोटिस जारी कर तीन दिन में राशि जमा करने को कहा गया है।राशि जमा न करने पर वेतन रोके जाने की चेतावनी दी गई है।
11 माह तक इन खातों में राशि जाती रही, लेकिन विभाग को कोई भनक तक नहीं लगी — यह निगरानी व्यवस्था की बड़ी चूक है।
शामिल शिक्षक (चयनित नाम):
जयद्रथ खुसरो प्राथमिक शाला लूफा,
दालसिंह हाईस्कूल बहेरामुड़ा,
गोवर्धनसिंह पैकरा दोनासागर,
सहोरिक जगत प्राथमिक शाला पोड़ी,
नारायणदास मानिकपुरी प्राथमिक शाला लमनाझार,
रुस्तम सिंह खुसरो प्राथमिक शाला तेंदुवा,
सुखराम गंधर्व माध्यमिक शाला पटैता,
राममिलाप प्राथमिक शाला सीस,
शिवकुमार जगत प्राथमिक शाला मनपहरी,
सत्यनारायण मरावी प्राथमिक शाला धनरास,
रमेश साहू प्राथमिक शाला करगीकला,
नारायण खांडे प्राथमिक शाला झालापारा,
चंदन सिंह धुर्वे प्राथमिक शाला नांगचुवा,
गौतम कुमार कुर्रे प्राथमिक शाला परसदा,
विजय सतनामी प्राथमिक शाला केकरापारा,
कमल सिंह प्राथमिक शाला धौराभाठा,
बनवारी लाल प्राथमिक शाला लमरीडबरी,
श्यामलाल प्राथमिक शाला नग़ोई,
राजकुमार पाव प्राथमिक शाला ढोलमौहा,
कार्तिक यादव प्राथमिक शाला कसईबहरा,
सुनील कुमार प्राथमिक शाला मोहंदी,
पवन सिंह प्राथमिक शाला ढोलमौहा,
शंकरलाल सूर्यवंशी प्राथमिक शाला परसापानी,
प्रमोद कुमार साहू प्राथमिक शाला कुंवाजति,
हेमपाल पैकरा टेंगनमाडा,
बसंत कुमार टेंगनमाडा l
(पूरी सूची में कुल 26 नाम शामिल हैं)
सुरुचि श्याम, परियोजना अधिकारी (महिला एवं बाल विकास विभाग कोटा):
“शिक्षकों की पत्नियों के खातों में जा रही राशि की जानकारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को भेजी गई है। उनसे राशि जमा कराकर रिपोर्ट मांगी गई है।”
यह प्रकरण यह दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं की निगरानी और सत्यापन प्रणाली में सुधार की सख्त ज़रूरत है। अगर नियमों की अनदेखी कर अधिकारी और कर्मचारी ही लाभ उठाने लगें, तो वास्तविक लाभार्थी वंचित रह जाते हैं।
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