बिलासपुर-बेलगहना-खोंगसरा मार्ग बना सुकून और आस्था की नया रास्ता, जहां घने जंगल, नदी - नाले और तीर्थ
बिलासपुर/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले से होते हुए पेंड्रा, गौरेला, मरवाही और मध्यप्रदेश को जोड़ने वाला खोंगसरा मार्ग आज सिर्फ एक आवागमन का साधन नहीं, बल्कि तीर्थ, पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य की जीवंत झलक बन चुका है। केंदा मार्ग के निर्माण के चलते इन दिनों बेलगहना–खोंगसरा होते हुए गौरेला एवं केंवची तक जाने वाले यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
यह मार्ग न केवल एक छोटा और तेज़ शॉर्टकट बन गया है, बल्कि अपने रास्ते में जो अनुभव देता है, वह इसे खास बनाता है। चारों ओर फैले घने जंगल, कलकल बहती छोटी-छोटी नदियाँ, ऊँचे पहाड़ और खुला नीला आसमान – यह दृश्य हर प्रकृति प्रेमी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
✨ धार्मिक और पर्यटन स्थलों से समृद्ध इस मार्ग के आस-पास कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल
🔹 सिद्ध बाबा मंदिर, बेलगहना – यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, जहाँ बड़ी संख्या में स्थानीय और बाहरी भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
🔹 मरही माता मंदिर – प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहाँ मेले और उत्सवों के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
🔹 अमरकंटक – मध्यप्रदेश सीमा से लगा यह तीर्थ नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है और पर्यटकों के लिए एक दिव्य आकर्षण का केंद्र है।
🚗 क्यों बढ़ रहा है इस मार्ग का महत्व?
केंदा मुख्य मार्ग निर्माणाधीन होने के कारण यह रास्ता वैकल्पिक और तेज़ बना है।
यह बेलगहना, खोंगसरा, आमागोहन होते हुए आसानी से गौरेला और अमरकंटक तक पहुंच प्रदान करता है।
यह मार्ग क्षेत्रीय लोगों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और व्यवसायिक यात्रियों के लिए समान रूप से उपयोगी बनता जा रहा है।
🌱 पर्यटन की अपार संभावनाएँ
इस क्षेत्र में यदि शासन और स्थानीय निकायों द्वारा थोड़ा और प्रयास किया जाए, तो यह मार्ग एक प्रमुख इको-टूरिज़्म और धार्मिक पर्यटन केंद्र बन सकता है।
स्थानिक युवा गाइडिंग, बांस और वनों से बने हस्तशिल्प, और होमस्टे सेवा जैसे माध्यमों से स्थानीय रोज़गार के अवसर भी प्राप्त कर सकते हैं।
🎥 कैमरा मेन : प्रदीप शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यटक
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