बैगा परिवारों को स्वच्छ पानी के लिए तरसना पड़ा, बच्चों में फैली खुजली की बीमारी
Managing Editor- Manharan Kashyap
बिलासपुर/कोटा।
कोटा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत केंवची के वार्ड क्रमांक 3 स्थित बैगापारा में करीब 25 बैगा आदिवासी परिवार बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में केवल एक हैंडपंप है, जो अक्सर सूख जाता है। मजबूरी में ग्रामीण तालाब और अन्य अस्वच्छ स्रोतों से पानी पीते हैं, जिससे बच्चों और महिलाओं में गंभीर खुजली की बीमारी फैल गई है। कई बच्चों के शरीर पर घाव तक हो गए हैं।
महिलाओं ने जताई पीड़ा
ग्रामीण महिलाएं माया बैगा और किरण बैगा का कहना है कि समस्या को कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया तथा सुशासन दिवस पर भी शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। बरसात के मौसम में भी पानी की इतनी किल्लत है कि गर्मियों में स्थिति और भयावह हो जाएगी।
बच्चों में बिगड़ रही हालत
गंदा पानी पीने से बच्चों के हाथ-पांव पर लाल चकत्ते और घाव हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समय पर इलाज न मिलने से स्थिति बिगड़ती जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई पहल नहीं हुई है।
सामाजिक कार्यकर्ता और संस्था की पहल
सामाजिक कार्यकर्ता किशन लाल ने गांव का दौरा कर बताया कि अधिकांश बच्चे खुजली की बीमारी से पीड़ित हैं। स्वच्छ पानी के अभाव को देखते हुए उन्होंने तत्काल स्वास्थ्य शिविर लगाने की मांग की है। उनकी संस्था जोहार पहुना फाउंडेशन ने शिक्षा और स्वच्छता पर जागरूकता अभियान चलाने तथा जिला प्रशासन से समस्या का समाधान कराने की योजना बनाई है।
प्रशासन से मांग
संस्था ने प्रशासन से मांग की है कि –
बैगापारा में नया हैंडपंप स्थापित किया जाए।
क्रेडा विभाग की मदद से पानी का टैंक लगाया जाए।
गांव में शीघ्र स्वास्थ्य शिविर लगाया जाए।
उपेक्षित बैगा परिवार
विशेष पिछड़ी जनजाति (PVTG) में शामिल बैगा परिवारों को योजनाओं में प्राथमिकता मिलनी चाहिए, लेकिन वर्षों से पानी की समस्या से जूझते रहने पर ग्रामीणों का सवाल है – क्या आदिवासी अब भी बुनियादी हक से वंचित रहेंगे?
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