देश की प्रतिष्ठित कुचिपुड़ी नृत्यांगना की प्रस्तुति 26 अगस्त को ,एवीएम न्यू सैनिक स्कूल बिलासपुर में

देश की प्रतिष्ठित कुचिपुड़ी नृत्यांगना की प्रस्तुति 26 अगस्त को ,एवीएम न्यू सैनिक स्कूल बिलासपुर में 

"नन्हें कैडेट्स को मिलेगा प्रसिद्ध नृत्यांगना टी.रेड्डी लक्ष्मी सान्निध्य"

Managing Editor- Manharan Kashyap 

भारतीय संस्कृति के संवाहक और शास्त्रीय नृत्य की अमूल्य धरोहर कुचिपुड़ी के प्रख्यात स्वरूप की प्रस्तुति हेतु देश की स्थापित एवं प्रतिष्ठित कुचिपुड़ी कलाकार टी. रेड्डी लक्ष्मी का आगमन शहर मे हो चुका है।नृत्यांगना का प्रवास 25 अगस्त से 30अगस्त तक छ.ग.मे ही रहेगा। 25 से 30 अगस्त तक  नृत्यांगना राज्य के विभिन्न शहरों के विद्यालयों एवं कॉलेजों मे अपनी मनमोहक प्रस्तुति देने वाली हैं। आधारशिला विद्या मंदिर सैनिक स्कूल, बिलासपुर में टी.रेड्डी लक्ष्मी 26 अगस्त 2025 (मंगलवार) को बच्चों के समक्ष अपना नृत्य कौशल प्रस्तुत करने वाली है।

टी. रेड्डी लक्ष्मी भारत में कुचिपुड़ी कलाकारों की वर्तमान पीढ़ी की अग्रणी प्रतिनिधि हैं। उनके लिए यह कला केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन शैली और साधना का स्वरूप है। दिल्ली प्रवास के दौरान उन्होंने प्रख्यात कुचिपुड़ी गुरुओं पद्मश्री जयराम राव एवं वनश्री राव से दो दशकों से भी अधिक समय तक गंभीर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। आलोचकों द्वारा उन्हें 'पूर्ण नर्तकी' की संज्ञा दी गई है और उनकी प्रस्तुति सदैव शास्त्रीयता, अनुशासन तथा सौंदर्य का अद्वितीय उदाहरण रही है।

विद्यालय परिसर में आयोजित इस अवसर पर वे अपने नृत्य के माध्यम से न केवल विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य-कला से जोड़ेंगी बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति की महान परंपरा से भी परिचित कराएँगी।
आधारशिला विद्या मंदिर सैनिक स्कूल विगत कई वर्षों से स्पीकमैके (Society for the Promotion of Indian Classical Music and Culture Amongst Youth) से जुड़ा है और इस संस्था के माध्यम से विद्यालय का उद्देश्य युवा पीढ़ी में भारतीय कला, संगीत और संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं अभिरुचि का निर्माण करना है।
कार्यक्रम में विद्यालय परिवार के साथ-साथ विशिष्ट अतिथि एवं छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में शामिल होंगे।

विद्यालय के चेयरमैन डॉ. अजय श्रीवास्तव ने कहा –
"भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ाव ही हमारे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण की नींव है। ऐसे आयोजन छात्रों को अपनी धरोहर पर गर्व करना सिखाते हैं।"
डायरेक्टर श्री एस. के. जनास्वामी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा –
"शास्त्रीय नृत्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि अनुशासन, समर्पण और सृजनात्मकता की शिक्षा देता है। हमें गर्व है कि विद्यालय में इतनी प्रतिष्ठित कलाकार का आगमन हो रहा है।"
प्राचार्या श्रीमती जी. आर. मधुलिका ने कहा –
"विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय कला से जोड़ना और उन्हें अपनी संस्कृति की महानता से अवगत कराना ही हमारे विद्यालय का प्रमुख उद्देश्य है। इस कार्यक्रम के माध्यम से निश्चित ही बच्चों में सांस्कृतिक चेतना का संचार होगा।"

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